दमा या अस्थमा रोग के लक्षण, कारण, बचाव और घरेलू उपचार (Home Remedies, Causes of Asthma in Hindi)
अस्थमा दमा के लक्षण.
अस्थमा यानी दमा, यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को हो सकता है। जब रोग बहुत अधिक बढ़ जाता है तो दौरा आने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है जिससे रोगी को सांस लेने में बहुत अधिक दिक्कत आती है तथा व्यक्ति छटपटाने लगता है। इस रोग में सांस लेते समय अधिक जोर लगाने पर रोगी का चेहरा लाल हो जाता है। सांस लेते समय हल्की-हल्की सीटी बजने की आवाज भी सुनाई पड़ती है जिसके चलते सांस लेने तथा सांस को बाहर छोड़ने में काफी जोर लगाना पड़ता है। आम तौर पर अगर परिवार में अनुवांशिकता के तौर पर अस्थमा की बीमारी किसी को है तो परिवार में किसी भी दूसरे व्यक्ति को इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।
सूक्ष्म श्वास नलियों में कोई रोग उत्पन्न हो जाने के कारण जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है तब यह स्थिति दमा रोग कहलाती है। अस्थमा कहे या हिन्दी में दमा ये श्वसन तंत्र की बीमारी है जिसके कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है। इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है, छाती मे कसाव जैसा महसूस होता है, सांस फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है। दमा रोग से पीड़ित रोगी को कफ सख्त, बदबूदार तथा डोरीदार निकलता है।
जब दमा रोग से पीड़ित रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी या ऐठनदार खांसी होती है। इस बीमारी के होने का विशेष उम्र बंधन नहीं होता है। किसी भी उम्र में कभी भी ये बीमारी हो सकती है। दमा की बीमारी को दो भाग किया जा सकता है. विशिष्ट यानी ेचमबपपिब और गैर विशिष्ट यानी दवद ेचमबपपिब. विशिष्ट प्रकार के दमा के रोग में सांस में समस्या एलर्जी के कारण होती है जबकि गैर विशिष्ट में ऐक्सरसाइज, मौसम के प्रभाव या आनुवांशिक प्रवृत्ति के कारण होता है।
दमा या अस्थमा रोग के कारण.
अस्थमा कई कारणों से होता है कई बार यह जेनेटिक भी हो सकता है। लेकिन इसके कई अन्य कारण भी हैं.
- औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ सूख जाने से दमा हो जाता है।
- खान-पान का गलत तरीका
- मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय
- खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाना
- नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना
- खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहना
- भूख से अधिक भोजन खाना
- मिर्च-मसाले, तले-भुने खाद्य पदार्थ और गरिष्ठ भोजन करना
- फेफड़ों की कमजोरी, हृदय की कमजोरी, गुर्दों की कमजोरी या फिर आंतों की कमजोरी के कारण।
- मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने से
- कुछ पौधों के पुष्परज, अण्डे तथा ऐसे ही अन्य पदार्थों का भोजन में अधिक सेवन करने से
- मनुष्य के शरीर की पाचन नलियों में जलन उत्पन्न करने वाले पदार्थों का सेवन करने से
- मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से
- गर्द, धुआं, गंदगी, बदबू, गंदे बिस्तर, पुरानी किताबें और कपड़ों की झाड़, खेतों की झाड़, सख्त सर्दी, बरसात, जुकाम, फ्लू, आदि सूक्ष्म कणों का सांस द्वारा फेफड़ों में जाने से भी दमा हो सकता है।
- इसके अलावा कई लोगों में कुछ निश्चित दवाओं (एस्पिरीन और बेटा- ब्लॉकर्स) के सेवन से भी दमा के रिस्क फैक्टर्स बढ़ सकते हैं।
- अत्यधिक भावनात्मक अभिव्यक्तियां (जैसे चीखने-चिल्लाने या फिर जोरदार तरीके से हंसना भी) भी कुछ लोगों में दमा की समस्या को बढ़ाकर दौरे की स्थिति उत्पन्न कर सकती हैं।
आनिवांशिक दमा
जन्म के समय कम वजन और समय से पहले बच्चों का जन्म, जन्म के पहले और या जन्म के बाद तंबाकू के धुएं के संपर्क. भीड़, वायु प्रदूषण, घर या बाहर की धूल या पेपर की डस्ट, रसोई का धुआं, नमी, सीलन, मौसम परिवर्तन, सर्दी-जुकाम, धूम्रपान, फास्टफूड्स, तनाव व चिंता, पालतू जानवर के संपर्क में रहना और पेड़-पौधों और फूलों के परागकणों आदि को शामिल किया जाता है।
बचाव के उपाय.
अस्थमा के रोगियों को अस्थमा का दौरा कभी भी आ सकता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। ऐसे में इससे बचने के उपायों की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुसार अस्थमा से बचने के कई आसान उपाय हैं।
- किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचें।
- छींकते, खांसते समय, रुमाल का प्रयोग करें।
- धूल, धुंआ, रुई, जानवरों के पंख, बालों आदि के सम्पर्क में आने से बचें।
- फूलों के परागकणों (फूलों में मौजूद तत्वों को) को सांस के साथ अंदर जाने से रोकें।
- सुगंधित या कृत्रिम रासायनिक द्रव्यों जैसे परफ्यूम, डियो आदि से, परहेज करें।
- जुकाम या खांसी होने पर लापरवाही न बरतें, जल्द से जल्द उसका उपचार करें।
- अपने खान-पान पर विशेष रूप् से ध्यान दें।
- हल्का और जल्दी पचने वाला भोजन लें।
- लहसुन, अदरक, मेथी, सोया, परवल, लौकी, तरोई, टिंडे आदि का प्रयोग भोजन में अधिक से अधिक करें।
- अस्थमा के रोगी के लिए मोटे पिसे आटे की रोटियां, दलिये की खिचड़ी लाभदायक है।
- मुनक्का व खजूर का प्रयोग लाभदायक होता है।
- हमेशा पीने के लिए गर्म पानी का प्रयोग करें।
- रात का खाना हल्का व सोने से एक घंटे पहले लें।
- सुबह या शाम टहलें और योग में मुख्य रूप से ‘प्राणायाम’ और भावातीत ध्यान करें।
- अधिक व्यायाम से बचे।
- हवादार कमरे में रहें और सोएं।
- एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों की सीधी हवा से बचें।
- धूम्रपान, चबाने वाली तम्बाकू, शराब और ठंडे पेय न लें।
- जिन्हें इत्र से इलर्जी हैं, वे अगरबत्ती, मच्छर रेपेलेंट्स का प्रयोग न करें।
- इन्हेलर (पदींसमत) को अपने पास रखें.
- घर को हमेशा साफ रखें ताकि धूल से एलर्जी की संभावना न हो.
- मुँह से साँस न लें क्योंकि मुँह से साँस लेने पर ठंड भीतर चला जाता है जो रोग को बढ़ाने में मदद करता है.
घरेलू उपचार.
- एक पका केला छिलका सहित लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच या लगभग दो ग्राम काली मिर्च पाउडर जिसे कपड़ा छान कर भर दें। फिर उसे बगैर छीले ही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर धागे से बांध कर दो से तीन घंटे रख दें। बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें।
- लहसुन फेफड़ो के कंजेस्शन को कम करने में बहुत मदद करता है। लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। दस-पंद्रह लहसुन की कलियां दूध में डालकर कुछ देर तक उबालें। उसके बाद एक गिलास में डालकर गुनगुना गर्म ही पीने की कोशिश करें। इस दूध का सेवन दिन में एक बार करना चाहिए। इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
- अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सुबह और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
- एक लीटर पानी में दो बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें, उसके बाद इसको छान लें। दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उसका रस को निकाल कर मेथी के पानी में डालें। उसके बाद एक चम्मच शुद्ध शहद इस मिश्रण में डालकर अच्छी तरह से मिला लें। दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए। दमे के मरीजों के लिए यह मिश्रण लाजवाब साबित होता है।
- 1-चैथाई चम्मच सोंठ, 6-काली मिर्च, 1-चैथाई चम्मच काला नमक और 5-पत्ती तुलसी की पानी में उबाल कर पीने से भी दमा में आराम मिलता है।
- दमा रोगी पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबालें और पानी से उठती भाप लें, यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद होता है।
- 1 गिलास पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब पांच मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू का रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा के उपचार में कारगर माना गया है।
- 4-5 लौंग 1 गिलास पानी में पांच मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।
- जरूरत के अनुसार सरसों के तेल में कपूर डालकर अच्छी तरह से गर्म करें। उसको एक कटोरी में डालें। फिर वह मिश्रण थोड़ा-सा ठंडा हो जाने के बाद सीने और पीठ में मालिश करें। दिन में कई बार से इस तेल से मालिश करने पर दमा के लक्षणों से कुछ हद तक आराम मिलता है।